दाए हाथ का नियम (Right Hand Rule) विद्युत चुंबकीय दिशा जानने का सरल नियम है। Electrician के लिये यह नियम विद्युत मोटर और जनरेटर की समझ में उपयोगी है।
1. सीधे धारावाही चालक हेतु
सौधे धारावाही चालक का चुम्बकीय क्षेत्र संकेन्द्रीय (concentric) बल रेखाओं से निर्मित होता है। चुम्बकीय बल रेखाओं का केन्द्र चालक का मध्य बिन्दु होता है। चालक की पूरी लम्बाई में उसके प्रत्येक बिन्दु पर चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है।
सीधे धारावाही चालक का चुम्बकीय क्षेत्र
सीधे धारावाही चालक की भाँति धारावाही लूप चालक का चुम्बकीय क्षेत्र भी संकेन्द्रीय बल रेखाओं से निर्मित होता है, परन्तु इसमें यह अन्तर होता है कि लूप में बल रेखाएँ चित्रानुसार अन्दर की ओर सघन व बाहर की ओर फैली हुई होती हैं। इन बल रेखाओं की दिशा दाएँ हाथ के नियम के द्वारा ज्ञात की जा सकती है।
धारावाही लूप का चुम्बकीय क्षेत्र
अतः किसी चालक में प्रवाहित धारा की दिशा तथा चालक के चारों ओर उत्पन्न चुम्बकीय क्षेत्र में एक सम्बन्ध होता है, जिसे निम्नलिखित नियमों द्वारा ज्ञात किया जा सकता है-
(a) ✋ दायाँ हाथ का नियम (Right Hand Rule)
Right Hand Rule के अनुसार, यदि हम चालक को दाएँ हाथ से इस प्रकार पकड़ें कि अँगूठा चालक में धारा की दिशा को प्रदर्शित करे, तब मुड़ी अँगुलियों की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा (बल रेखाओं की दिशा) को प्रदर्शित करेगी।
यदि हमें चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात हो, तो Right Hand Rule की सहायता से धारा की दिशा भी ज्ञात कर सकते हैं। इस स्थिति में हमें चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा में अँगुलियों को मोड़ना होगा, तब अँगूठा धारा की दिशा को प्रदर्शित करेगा। इसे ही दाएँ हाथ का नियम कहते हैं।
🌀 चित्रात्मक समझ (Imaginary Visualization):
धारा ऊपर जा रही हो → चुंबकीय क्षेत्र घड़ी की विपरीत दिशा में।
धारा नीचे की ओर जा रही हो → चुंबकीय क्षेत्र घड़ी की दिशा में।
✅ प्रयोग में उपयोग:
विद्युत मोटर
चुंबकीय सुई की दिशा ज्ञात करना
सोलोनॉयड या कॉयल के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र का दिशा निर्धारण
(b) मैक्सवेल का कॉर्क-स्क्रू नियम (Maxwell's Corkscrew Rule)
यदि आप एक कॉर्क-स्क्रू (या स्क्रूड्राइवर) को किसी चालक के साथ विद्युत धारा की दिशा में घुमाते हैं और वह स्क्रू (पेच) अंदर (आगे) की ओर जाए, तो कॉर्क-स्क्रू के घुमाव की दिशा चुंबकीय क्षेत्र की दिशा को दर्शाती है।
📌 मुख्य बिंदु:
यह नियम एक सीधे चालक (Straight Conductor) के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा समझने के लिए प्रयोग किया जाता है।
यह दायाँ हाथ का अंगूठा नियम (Right-Hand Thumb Rule) का वैकल्पिक रूप है।
🛠️ उपयोग (Applications):
वायर के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा निर्धारित करने में
विद्युत मोटर और ट्रांसफॉर्मर डिज़ाइन में
विद्युत चुंबकीय इंडक्शन में
2. विद्युत धारावाही सोलेनॉयड हेतु
यदि अचालक तार को गोल आकार में बहुत से टर्न दे दिए जाएँ, तो यह व्यवस्था सोलेनॉयड (Solenoid) कहलाती है। विद्युत धारावाही सोलेनॉयड (Solenoid) अथवा क्वॉयल का चुम्बकीय क्षेत्र लगभग छड़-चुम्बक के चुम्बकीय क्षेत्र के समान ही होता है।
सोलेनॉयड का एक सिरा उत्तरी ध्रुव की भाँति और दूसरा सिरा दक्षिणी ध्रुव की भाँति कार्य करता है
सोलेनाइड
सोलेनॉयड की ध्रुवता को निम्न नियमों द्वारा ज्ञात किया जाता है-
(a) हेलिक्स नियम (Helix Rule)
इस नियम के अनुसार, “यदि सोलेनॉयड को दाएँ हाथ की मुट्ठी में इस प्रकार पकड़ें कि अँगुलियों की दिशा, सोलेनॉयड में प्रवाहित धारा की दिशा दर्शाए, तो अँगूठा सोलेनॉयड के उत्तरी ध्रुव को प्रदर्शित करेगा।
🎯 हेलिक्स नियम क्यों उपयोगी है?
यह नियम सोलोनॉयड के चुंबकीय ध्रुवों का अनुमान लगाने में मदद करता है।
इसका उपयोग इलेक्ट्रोमैग्नेट, मोटर और रिले जैसी विद्युत-चुंबकीय मशीनों में किया जाता है।
🧭 सरल भाषा में समझें:
सोलोनॉयड को सामने से देखें।
तार की घुमावदार दिशा पर ध्यान दें – क्या वह घड़ी की दिशा में जा रही है या विपरीत?
अब कल्पना करें कि आप एक स्क्रू (screw) उस दिशा में घुमा रहे हैं।
जिस दिशा में वह स्क्रू आगे बढ़ेगा (घुसता है), वही चुंबकीय क्षेत्र की दिशा होगी।
(b) सिरे का नियम End Rule
यदि सोलेनॉयड में धारा का प्रवाह घड़ी की सुइयों की घूर्णन दिशा में प्रतीत होता है, तो वह दक्षिणी ध्रुव होगा और यदि घड़ी की दिशा के विपरीत प्रतीत होता है, तो वह सिरा उत्तरी ध्रुव होगा।
🔍 कैसे देखें?
सोलोनॉयड को सामने से देखें (जैसे आप एक पाइप के छेद को सामने से देख रहे हों)।
देखें कि तार घड़ी की दिशा में घुम रहा है या विपरीत दिशा में।
परिवर्ती चुम्बकीय क्षेत्र अर्थात् निरन्तर परिवर्तित होने वाले चुम्बकीय क्षेत्र में रखे चालक के सिरों पर वि.वा. बल (वोल्टेज) उत्पन्न होने की प्रक्रिया विद्युत चुम्बकीय प्रेरण कहलाती है।
विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सम्बन्ध में फैराडे ने दो नियम दिए थे, जो निम्न प्रकार हैं
1. प्रथम नियम First Rule
यदि किसी चालक में से गुजरने वाले चुम्बकीय फ्लक्स की मात्रा में परिवर्तन होता है, तो उस चालक में वि.वा.ब. उत्पन्न हो जाता है
इस प्रकार उत्पन्न हुए वि.वा.ब. का अस्तित्व तभी तक कि चुम्बकीय क्षेत्र अथवा चालक की दिशा विद्यमान रहता है, जब तक की चुम्बकीय क्षेत्र अथवा चालक की दिशा मे परिवर्तन होता रहता है।
सार:
“चुंबकीय क्षेत्र में परिवर्तन = विद्युत धारा का उत्पादन”
2. द्वितीय नियम Second Rule
किसी चालक में ,प्रेरित विद्युत वाहक बल (EMF) उस चुंबकीय फ्लक्स परिवर्तन की दर के समानुपाती होती है।
जहाँ:
EMF = प्रेरित विद्युत वाहक बल
ϕ = चुंबकीय फ्लक्स
dϕ/dt = चुंबकीय फ्लक्स में समय के अनुसार परिवर्तन
सार:
“चुंबकीय फ्लक्स जितनी तेजी से बदलेगा, EMF उतना ही अधिक उत्पन्न होगा।”
Note :– उपरोक्त सूत्र में (-) चिन्ह यह दर्शाता है कि किसी चालक में प्रेरित वि.वा.ब. की दिशा, फ्लक्स परिवर्तन दिशा के विपरीत होती है।
चुम्बक पदार्थो के प्रकार के बारे मे जानने के लिये यहा click करे
FAQ
फैराडे के कितने नियम हैं?
फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के दो नियम हैं:
पहला नियम – प्रेरण की स्थिति
दूसरा नियम – प्रेरित EMF की गणना
फैराडे का पहला नियम क्या कहता है?
जब चुंबकीय फ्लक्स में परिवर्तन होता है, तो बंद लूप में एक विद्युत धारा उत्पन्न होती है। यह प्रेरित धारा कहलाती है।
EMF में “–” (नकारात्मक चिन्ह) का क्या अर्थ है?
यह लेन्ज के नियम को दर्शाता है, जो कहता है कि प्रेरित धारा उस कारण का विरोध करेगी जिससे वह उत्पन्न हुई है।
चुंबकीय फ्लक्स क्या होता है?
चुंबकीय फ्लक्स किसी सतह से होकर गुजरने वाली चुंबकीय रेखाओं की संख्या होती है। इसका मात्रक वेबर (Weber) है।
विद्युत चुंबकीय प्रेरण का दैनिक जीवन में क्या महत्व है?
इस सिद्धांत के बिना हम जनरेटर से बिजली नहीं बना सकते। यह आज की आधुनिक विद्युत प्रणाली की रीढ़ है।