Earthing -Defination ,Procedure,types

परिचय

अर्थिंग (Earthing) शब्द का अर्थ है विद्युत उपकरण को नगण्य प्रतिरोध के लीड द्वारा पृथ्वी  से जोड़ना।

मानव जीवन, घरों और मशीनों की सुरक्षा के लिए अर्थिंग का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। यह विद्युत उपकरण की बाडी मे बहने वाली धारा को शून्य  पर लाता है और इस प्रकार, ऑपरेटर को झटका से बचाता है।

अर्थ फॉल्ट की स्थिति में, सर्किट के माध्यम से भारी करंट प्रवाहित होता है, सर्किट का फ्यूज पिघल जाता है या सर्किट का MCB नीचे गिर जाता है और दोषपूर्ण सर्किट आपूर्ति से डिस्कनेक्ट हो जाता है।

अर्थिंग (Earthing) के प्रकार

विद्युत उपकरणों को पृथ्वी से जोड़कर अर्थिंग (Earthing) प्राप्त की जाती है, इसके लिए एक अच्छा कंडक्टर का उपयोग किया जाता है जिसे अर्थ इलेक्ट्रोड कहा जाता है। यह उपकरण से पृथ्वी तक बहुत कम प्रतिरोध वाला मार्ग सुनिश्चित करता है।

अर्थिंग (Earthing) के दो महत्वपूर्ण तरीके हैं

  • प्लेट अर्थिंग (Plate Earthing)
  • पाइप अर्थिंग  (Pipe Earthing)

प्लेट अर्थिंग (Plate Earthing)

Plate Earthing की यह विधि नमी वाले स्थानों के लिए अधिक उपयुक्त है। इसमें लगभग 90 सेमी × 90 सेमी आकार का गड्‌ढा भूतल से 1.5 से 3 मी गहराई तक (नमो प्राप्त होने तक) खोदा जाता है। इस गड्‌ढे में अर्थिग (Earthing) प्लेट को ऊर्ध्व स्थिति में स्थापित कर उसे अर्थिग तार से नट-बोल्ट के द्वारा जोड़ दिया जाता है। अर्थिग प्लेट के चारों ओर नमक एवं चारकोल की एकान्तर परतें 15 सेमी मोटाई तक लगाई जाती हैं।

plate Earthing

Image Source – Google  image by : axis-india.com

गद्दडे में जल डालने के लिए एक पाइप लगाकर उसे मिट्टी से भर दिया जाता है। गड्‌ढे के ऊपरी सिरे पर जल पाइप को एक फनल से जोड़ दिया जाता है और उसके चारों ओर लगभग 30 सेमी 30 सेमी सीमेन्ट बॉक्स बनाकर, कास्ट आयरन के ढक्कन से ढक दिया जाता है और ‘अर्थ’ उपयोग के लिए तैयार हो जाता है।

आवश्यक सामग्री -

प्लेट अर्थिग के निर्माण में निम्न सामग्री प्रयोग की जाती हैं

  1. अर्थिग प्लेट (Earthing plate) – इस प्लेट का आकार 60 सेमी 60 सेमी तथा मोटाई, ताँबे की प्लेट के लिए 3.15 मिमी एवं जी.आई. प्लेट के लिए 6.30 मिमी होनी चाहिए।
  2. अर्थिग तार (Earthing wire) – इस विधि में 8 SWG जी.आई. तार प्रयोग किया जाता है।

  3. अर्थिग जी.आई. पाइप (Earthing GI pipe) – इस पाइप का व्यास 12.7 मिमी होना चाहिए। अर्थिग तार, इसी पाइप में स्थापित किया जाता है। • 19 मिमी जी.आई. पाइप (19 mm GI pipe) जी.आई. पाइप का व्यास 19 मिमी (1.2 मी लम्बा) होना चाहिए। इसका उपयोग ‘अर्थ’ में नमी बनाए रखने हेतु जल डालने के लिए किया जाता है।

  4. फनल (Funnel)प्लेट अर्थिंग में तार की जाली से बने फिल्टर सहित फनल का प्रयोग किया जाता है। स्थापना के समय फनल का ऊपरी सिरा, भूतल से  5 से 10 सेमी उभरा हुआ रखना चाहिए।
  5. कास्ट आयरन ढक्कन – इसका आकार 30 सेमी × 30 सेमी होना चाहिए।
  6.  नमक व चारकोल (Salt and charcoal) इसमें डलेदार नमक एवं चारकोल (कच्चा कोयला) चूर्ण होना चाहिए।
  7. नट-बोल्ट (Nut-bolt) – 50 मिमी 30 सेमी, ताँबे की प्लेट के साथ तांबे के तथा जी.आई. प्लेट के साथ जी. आई. के नट-बोल्ट प्रयोग करने चाहिए।

Pipe Earthing

   अर्थिग ( Earthing) की यह विधि सभी प्रकार के स्थानों पर प्रयोग की जा सकती है। इसमें लगभग 30 सेमी x 30 सेमी आकार का गड्‌ढ़ा, भूतल से 2.5 से 4.0 मी गहराई तक खोदा जाता है। इस गड्‌ढे में अर्थिग तार लपेटकर जी.आई. वाशर तथा सर्किट से कस दिया जाता है।

pipe Earthing

अर्थिग पाइप के चारों ओर 15 सेमी चौड़ाई में नमक के डले तथा चारकोल चूर्ण की परतें जमा दी जाती हैं।

गड्‌ढे में जल डालने के लिए पाइप तथा जनल लगाकर गड्ढे को मिटटी आकार का सीमेन्ट-कंक्रीट बॉक्स बनाकर कास्ट आयरन के ढक्कन ढक दिया जाता है। इस प्रकार निर्मित ‘अर्थ’ उपयोग के लिए तैयार जाता है। से हो

आवश्यक सामग्री Essential Materials -

  1.   जी.आई. पाइप ( GI pipe) – इस पाइप का व्यास 38 मिमी तथा इसकी लम्बाई 2.5 मी होनी चाहिए, जिसमें 12 मिमी व्यास के अनेक छिद्र बने होने चाहिए।

  2. अर्थिग तार (Earthing wire) – इस विधि में 8 SWG जी.आई. तार का प्रयोग किया जाना चाहिए।
  3. अर्थिग जी.आई. पाइप (Earthing GI pipe) – इसका व्यास 12.7 मिमी होना चाहिए। अर्थिग तार, इसी पाइप में स्थापित किया जाता है।

  4. जी.आई. पाइप ( Gl pipe) इसका व्यास 19 मिमी तथा लम्बाई 95 सेमी होनी चाहिए। इसका उपयोग ‘अर्थ’ में नमी बनाए रखने हेतु जल डालने के लिए किया जाता है।
  5. फनल (Funnel) – तार की जाली से बने फिल्टर सहित फिल्टर उपयोग किया जाता। स्थापना के समय फनल का ऊपरी सिरा, भूतल से 5 से 10 सेमी उभरा हुआ रखना चाहिए।
  6. कास्ट आयरन ढक्कन (Cast iron cover) –  इसका आकार 30 सेमी×30 सेमी होना चाहिए।

  7. नमक व चारकोल (Salt and charcoal) –  डलेदार नमक तथा चारकोल चूर्ण होना चाहिए।

  8. जी.आई. वाशर तथा सॉकेट (GI washer and socket) – इसके जी.आई. वाशर तथा सकिट का आन्तरिक व्यास 12.7 मिमी होना चाहिए।

Chemical Earthing

Chemical Earthing अर्थिंग की एक उन्नत विधि है जो पारंपरिक अर्थिंग तकनीकों से काफी अलग है। पारंपरिक अर्थिंग में, चारकोल और नमक जैसी सामग्रियों का उपयोग आमतौर पर अर्थिंग इलेक्ट्रोड के चारों ओर नमी बनाए रखने के लिए किया जाता है, जो बिजली को प्रभावी ढंग से जमीन में प्रवाहित करने में मदद करता है। हालाँकि, ये सामग्रियाँ समय के साथ खराब हो सकती हैं, जिससे प्रतिरोध बढ़ जाता है और नियमित रखरखाव की आवश्यकता होती है।

Chemical Earthing, जिसे अक्सर रखरखाव-मुक्त अर्थिंग के रूप में जाना जाता है, एक अधिक कुशल और लंबे समय तक चलने वाला विकल्प प्रदान करता है। चारकोल और नमक पर निर्भर रहने के बजाय, रासायनिक अर्थिंग विशेष ग्राउंड-एन्हांसिंग सामग्रियों का उपयोग करता है। ये सामग्रियाँ, जैसे कि फिल कंपाउंड, अर्थिंग इलेक्ट्रोड को घेरने के लिए डिज़ाइन की गई हैं। फिल कंपाउंड एक अत्यधिक प्रवाहकीय सामग्री है जो समय के साथ आसानी से खराब नहीं होती है। यह विद्युत धाराओं को जमीन में फैलने के लिए एक सुसंगत और कम प्रतिरोध वाला मार्ग सुनिश्चित करता है।

अर्थिंग के लाभ एवं हानियाँ

अर्थिग से सम्बन्धित कुछ लाभ एवं हानियों निम्नलिखित है

Earthing के फायदे-

  • इसके प्रयोग से उपकरणों में विद्युत धारा वहन करने वाले भाग भू-विश्वपर बने रहते हैं।
  • अर्थिग को ट्रांसफॉर्मर, मोटर, आल्टरनेटर व सभी मशीनों से जोड़ने से दुर्घटनाओं की समस्या कम हो जाती है।

  • यदि विद्युत उपकरणों पर सटीकता से अर्थिग की जाती है, तो ऐसे में यदि धरा का लीकेज (leakage) हो, तो भी मनुष्य को विद्युत झटका नहीं लगता है।
  • जब धारा लीकेज होती है, तो भूमि के सम्पर्क में आने पर धारा का बर बढ़ जाता है तथा MCB परिपथ को बन्द कर देती है व फ्यूज पिघलका परिपथ को तोड़ देता है।
  • ओवरहेड लाइनों पर उच्च वोल्टेज आने पर अर्थिग व्यवस्था के कारण इसे भूमि में समायोजित कर दिया जाता है, जिससे लाइन व उपकरणों को हानि नहीं होती है।

हानियाँ Disadvantages

  • अर्थिग का बहुत अधिक प्रतिरोध अप्रभावी रहता है।
  • अर्थिग तार कहीं से टूट जाए व उस भाग का जमीन से कोई सम्पर्क नहीं हो पाया हो, तो ऐसी स्थिति में धारा टूटे हुए तार में प्रवाहित हो जाए ते दुर्घटना घट सकती है।

Plate Earthing क्या है?

प्लेट अर्थिंग एक विधि है जिसमें एक धातु की प्लेट (जैसे तांबा या जस्ती लोहा) को पृथ्वी में दफन करके विद्युत उपकरणों को पृथ्वी से जोड़ा जाता है, ताकि किसी भी दोषपूर्ण करंट को सुरक्षित रूप से पृथ्वी में बहाया जा सके।

प्लेट अर्थिंग सुनिश्चित करता है कि किसी भी प्रकार के फॉल्ट करंट या अनचाहे वोल्टेज को पृथ्वी में सही तरीके से निस्तारित किया जाए, जिससे विद्युत उपकरणों को नुकसान से बचाया जा सके और उपयोगकर्ताओं को बिजली के झटके से सुरक्षा मिल सके। यह विद्युत सुरक्षा बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्लेट अर्थिंग के प्रमुख घटक हैं:

  • अर्थिंग प्लेट: यह एक धातु की प्लेट होती है (जैसे तांबा या जस्ती लोहा)।
  • अर्थिंग इलेक्ट्रोड: यह प्लेट को विद्युत प्रणाली से जोड़ता है।
  • अर्थिंग कंडक्टर: यह कंडक्टर सिस्टम को अर्थिंग प्लेट से जोड़ता है।
  • अर्थ पिट: यह वह गड्ढा है जिसमें प्लेट दफनाई जाती है ताकि यह मिट्टी के संपर्क में आए।

तांबा और जस्ती लोहा (GI) प्लेट के लिए सामान्यत: उपयोग किए जाते हैं क्योंकि इनकी चालकता बहुत अच्छी होती है और ये जंग से भी सुरक्षित रहते हैं। तांबा अधिक प्रभावी होता है लेकिन महंगा होता है, जबकि जस्ती लोहा सस्ता होता है, लेकिन समय के साथ जंग लग सकता है।

प्लेट को सामान्यतः 1 से 3 मीटर की गहराई तक दफनाया जाता है, यह मिट्टी की स्थिति पर निर्भर करता है। गहरी गहराई तक दफनाने से सुनिश्चित होता है कि प्लेट को पर्याप्त संपर्क मिलता है ताकि करंट सही तरीके से पृथ्वी में बह सके।

प्लेट को सामान्यतः 1 से 3 मीटर की गहराई तक दफनाया जाता है, यह मिट्टी की स्थिति पर निर्भर करता है। गहरी गहराई तक दफनाने से सुनिश्चित होता है कि प्लेट को पर्याप्त संपर्क मिलता है ताकि करंट सही तरीके से पृथ्वी में बह सके।

प्लेट को सामान्यतः 1 से 3 मीटर की गहराई तक दफनाया जाता है, यह मिट्टी की स्थिति पर निर्भर करता है। गहरी गहराई तक दफनाने से सुनिश्चित होता है कि प्लेट को पर्याप्त संपर्क मिलता है ताकि करंट सही तरीके से पृथ्वी में बह सके।

प्लेट का आकार विद्युत लोड और क्षेत्र की मिट्टी की प्रतिरोधकता पर निर्भर करता है। सामान्यत: प्लेट का आकार 0.5m² से 1m² तक हो सकता है और इसकी मोटाई 6mm से 12mm के बीच होती है।

प्लेट अर्थिंग प्रणाली की नियमित देखभाल और निरीक्षण करना आवश्यक है। इसे हर 3 से 5 साल में एक बार जांचना चाहिए। देखभाल में कनेक्शन की स्थिति, जंग का निरीक्षण और प्लेट की गहराई और स्थिति की जांच शामिल होती है।

प्लेट अर्थिंग की लागत उपयोग किए गए पदार्थ (जैसे तांबा या GI), पृथ्वी गड्ढे की गहराई और श्रम शुल्क पर निर्भर करती है। तांबा प्लेटें जस्ती लोहा की तुलना में महंगी होती हैं, लेकिन इनकी चालकता बेहतर होती है और ये ज्यादा समय तक टिकती हैं।

प्लेट अर्थिंग नम और अच्छे चालकता वाली मिट्टी में सबसे अच्छा काम करती है। अगर मिट्टी सूखी या चट्टानी है, तो अतिरिक्त उपाय जैसे रासायनिक अर्थिंग या अधिक चालकता वाली सामग्री का उपयोग करने की आवश्यकता हो सकती है।

हां, प्लेट अर्थिंग एक सुरक्षित और विश्वसनीय विधि है, यदि इसे सही तरीके से स्थापित किया जाए। सही ढंग से स्थापित होने पर यह विद्युत झटके और विद्युत उपकरणों के नुकसान से सुरक्षा प्रदान करती है।

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