Alternator -Parts

Alternator Parts

यान्त्रिक ऊर्जा को ए.सी. प्रकार की वैद्युतिक ऊर्जा में परिवर्तित करने वाली मशीन आल्टरनेटर (Alternator) या ए.सी. जनित्र कहलाती है। । सामान्य शब्दों में, प्रत्यावर्ती धारा (ए.सी.) उत्पन्न करने वाली मशीन को आल्टरनेटर (Alternator)कहते हैं। आल्टरनेटर (Alternator) का कार्य सिद्धान्त डी.सी. जनित्र के समान ही होता है। इसमें मुख्य रूप से चुम्बकीय क्षेत्र, चालक एवं घुमाव बल आवश्यक होते हैं, क्योंकि जब किसी चुम्बकीय क्षेत्र में चालक को रखकर किसी एक ओर घुमाया जाए, तो चालक में वि.वा.ब. उत्पन्न हो जाता है।

वर्तमान समय में आल्टरनेटर (Alternator) का प्रयोग, ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत सप्लाई को प्रेषित करने एवं उसके उत्पादन इत्यादि में बहुतायत से किया जा रहा है।

आल्टरनेटर (Alternator), फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर आधारित होता है। इस सिद्धान्त के अनुसार, जब किसी चालक एवं चुम्बकीय क्षेत्र के बीच सापेक्ष गति के कारण चुम्बकीय बल रेखाओं का छेदन होता है, तो उस चालक में वि.वा.ब. उत्पन्न हो जाता है।प्रेरित वि.वा.ब. का परिमाण छेदित चुम्बकीय रेखाओं की दर अथवा सम्बन्धित फ्लक्स पर निर्भर करता है।

आल्टरनेटर (Alternator) की संरचना, डी.सी. जनित्र के लगभग समान होती है। डी.सी. जनित्रों में एक घूर्णीय आर्मेचर क्वॉयल में उत्पन्न प्रत्यावर्ती धारा (ए.सी.) को बाह्य परिपथ के लिए कम्यूटेटर की सहायता से डी.सी में दिष्टकरण करना होता है परन्तु आल्टरनेटरों (Alternator) में आर्मेचर क्वॉयलों में उत्पन्न प्रत्यावर्ती धारा (ए.सी.) को बाह्य परिपथ में स्लिप रिंग की सहायता से सीधे ही पहुंचाया जा सकता है। जब स्टेशनरी चालक को वैकल्पिक रूप से आल्टरनेटर (Alternator) के घूर्णीय चुम्बकीय क्षेत्र से जोड़ा जाता है, तो यह स्टेटर में प्रत्यावर्ती धारा (ए.सी.) उत्पन्न करता है।

आल्टरनेटर (Alternator) मौलिक आवश्यकताएँ निम्न प्रकार हैं

  • चुम्बकीय क्षेत्र या रोटर

  • आर्मेचर या स्टेटर

  • स्लिप रिग्स तथा ब्रश आदि

  • यान्त्रिक ऊर्जा।

आल्टरनेटर की संरचना Construction of Alternator

आल्टरनेटर (Alternator) में निम्न मुख्य भाग होते हैं

  1. योक Yoke

  2. स्टेटर Stator

  3. रोटर Rotor

  4. एक्साइटर Exciter
Alternator parts

1. योक Yoke

मशीन के बाह्य भाग को बॉडी या फ्रेम कहते हैं। यह कास्ट आयरन अथवा कास्ट स्टील की बनाई जाती है। 

इसके मुख्य कार्य हैं-

  • मशीन के सभी भागों को सुरक्षित रखना।

  • चुम्बकीय बल रेखाओं के लिए पथ प्रदान करना।

बॉडी पर आवश्यकतानुसार आई बोल्ट, लैग्स आदि वैल्ड कर दिए जाते हैं।

2. स्टेटर Stator

इसमे मुख्यतः आर्मेचर कोरें होती हैं। इन कोरों (cores) की आन्तरिक दिधि पर स्लॉट्स (slots) कटे होते हैं, जिनमें आर्मेचर क्वॉयल्स स्थापित की जाती है। आर्मेचर कोर को एक छल्ले के रूप में मशीन की बॉडी या फ्रेम में फिट कर दिया जाता है।

एडी धारा क्षति (eddy current losses) का मान रखने के लिए आर्मेचर कोर को, सिलिकॉन-स्टील की वार्निश आलेपित क्षत्रियों को जोड़कर बनाया जाता है। स्टेटर में शीतलता प्रदान करने के लिए इन पत्तियों में डक्ट्स (ducts) बनाए जाते हैं, जिनके द्वारा वायु प्रवाहित होती है. जो मशीन को ठण्डा रखती है। 

3. रोटर Rotor

रोटर, विद्युत चुम्बकीय प्रणाली का एक गतिमान घटक है। आल्टरनेटर में इसका घूर्णन वाइण्डिग तथा चुम्बकीय क्षेत्र के मध्य प्रतिच्छेदन के कारण होता है। प्रतिच्छेदन के फलस्वरूप रोटर अक्ष के चारों ओर बल आघूर्ण उत्पन्न होता है।

रोटर मुख्यतः निम्न दो प्रकार के होते हैं-

  • सैलिएन्ट पोल रोटर Salient Pole Rotor
  • बेलनाकार पोल रोटर Cylindrical Pole Rotor

(a) सैलिएन्ट पोल रोटर Salient Pole Rotor

यह रोटर, निम्न एवं मध्यम घूर्णन गति वाले आल्टरनेटर्स में प्रयोग किया जाता है। इसे बनाने के लिए स्टील स्टैम्पिग्स (steel-stampings) प्रयोग की जाती हैं। इसमें फील्ड क्वॉयल्स स्थापित करने के लिए पर्याप्त स्थान होता है और उत्पन ऊष्मा के विसरण के लिए अधिक क्षेत्र उपलब्ध होता है।

(b) बेलनाकार पोल रोटर Cylindrical Pole Rotor

यह रोटर, उच्च घूर्णन गति वाले आल्टरनेटर्स में प्रयोग किया जाता है। इसकी लम्बाई अधिक होती है और व्यास कम होता है। यह ठोस स्टील का बनाया जाता है और फील्ड वाइण्डिग्स स्थापित करने के लिए इसकी परिधि पर खाँचे काटे जाते हैं।

 इसकी घूर्णन गति 1500 से 3000 RPM तक तथा आउटपुट 50,000 kVA से 2,00,000 kVA तक होती है। इसका उपयोग स्टीम टरबाइन आल्टरनेटर्स तथा टबों-आल्टरनेटर्स में किया जाता है।

4. एक्साइटर Exciter

यह प्रायः एक शष्ट वाउण्ड अथवा कम्पाउण्ड वाउण्ड डी.सी. जनित्र होता है, जिसे रोटर शाफ्ट पर ही स्थापित किया जाता है। इस जनित्र द्वारा उत्पन्न किया गया डी.सी. वि.वा.ब. (250 वोल्ट तक), दो स्लिप रिंग्स के द्वारा रोटर क्वॉयल्स को प्रदान किया जाता है, जिस कारण रोटर घूमता है।

आल्टरनेटर में स्थिर चुम्बकीय क्षेत्र बनाने के लिए एक्साइटर का प्रयोग किया जाता है।

प्राइम मूवर के द्वारा आल्टरनेटर के रोटर के घूमने से शाफ्ट घूमती है, • जिसके कारण डी.सी. शण्ट जनित्र अर्थात् एक्साइटर भी घूमता है एवं डी.सी. धारा प्रदान करता है।

उत्तेजन (excitation) को कम एवं अधिक करने के लिए एक्साइटर परिपथ में रेगुलेटर का प्रयोग किया जाता है।

इसके आर्मेचर से प्राप्त डी.सी. को स्लिप रिंग से संयोजित किया जाता है, जिससे आल्टरनेटर को उत्तेजना मिलती है, जिसे रेगुलेटर के प्रयोग द्वारा घटाया-बढ़ाया जा सकता है।

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