यान्त्रिक ऊर्जा को ए.सी. प्रकार की वैद्युतिक ऊर्जा में परिवर्तित करने वाली मशीन आल्टरनेटर (Alternator) या ए.सी. जनित्र कहलाती है। । सामान्य शब्दों में, प्रत्यावर्ती धारा (ए.सी.) उत्पन्न करने वाली मशीन को आल्टरनेटर कहते हैं। आल्टरनेटर का कार्य सिद्धान्त डी.सी. जनित्र के समान ही होता है। इसमें मुख्य रूप से चुम्बकीय क्षेत्र, चालक एवं घुमाव बल आवश्यक होते हैं, क्योंकि जब किसी चुम्बकीय क्षेत्र में चालक को रखकर किसी एक ओर घुमाया जाए, तो चालक में वि.वा.ब. उत्पन्न हो जाता है।
आल्टरनेटर्स का वर्गीकरण प्राइम मूवर, घूमने वाले भाग, फेज की संख्या, उत्तेजना विधि तथा पोल की संरचना के आधार पर किया जाता है, जिनका विवरण निम्नवत् है-
- प्राइम-मूवर के आधार पर
1. प्राइम-मूवर के आधार पर
किसी आल्टरनेटर के घूर्णन करने वाले भाग को घुमाने के लिए प्रयुक्त यान्त्रिक प्रणाली, प्राइम मूवर (prime mover) कहलाती है।
इसके आधार पर आल्टरनेटर (Alternator) मुख्यतः निम्न प्रकार के होते हैं
- वाटर टरबाइन आल्टरनेटर Water Turbine Alternator
स्टीम टरबाइन आल्टरनेटर Steam Turbine Alternator
ऑयल इंजन आल्टरनेटर Oil Engine Alternator
(a) वाटर टरबाइन आल्टरनेटर Water Turbine Alternator
इस प्रकार के आल्टरनेटर के रोटर को घुमाने के लिए जल-टरबाइन प्रयोग की जाती है। वाटर-टरबाइन को घुमाने के लिए जल की तीव्र-धारा को आवश्यकता होती है, जिसे किसी नदी, नहर आदि पर बाँध बनाकर, जल को एकत्र कर, ऊँचाई से गिराकर तैयार किया जाता है।
यदि जल का फोर्स (force) कम होता है, तो आल्टरनेटर की घूर्णन गति कम होती है और इसकी पूर्ति के लिए आर्मेचर में पोल्स की संख्या अधिक रखी जाती है।
(b) स्टीम टरबाइन आल्टरनेटर Steam Turbine Alternator
इस प्रकार के आल्टरनेटर के रोटर को घुमाने के लिए वाष्प की तीव्र धारा (steam jet) से चालित टरबाइन प्रयोग की जाती है। जल वाष्प तैयार करने के लिए बॉयलर का प्रयोग किया जाता है, जिसमें कोयला, गन्ने की खोडं आदि से जल वाष्प तैयार की जाती है। विकल्प के तौर पर स्टीम इंजन भी प्रयोग किया जा सकता है।
स्टीम टरबाइन की घूर्णन गति, जल-टरबाइन की घूर्णन गति की अपेक्षा अधिक होती है। अतः आल्टरनेटर के आर्मेचर में पोल्स की संख्या कम रखी जाती है।
(c) ऑयल इंजन आल्टरनेटर Oil Engine Alternator
वैकल्पिक विद्युत व्यवस्था के रूप में डीजल मिट्टी का तेल चालित ऑयल इंजन के द्वारा आल्टरनेटर (Alternator) को घुमाकर विद्युत उत्पादन किया जाता है। इस विधि के प्रयोग से मेलों, प्रदर्शनियों, विवाह उत्सवों एवं अन्य उत्सवों में विद्युत उत्पादन किया जाता है।
शहरों में तो सभी बड़े दुकानदार, सम्पन्न व्यक्ति एवं विद्युत उपभोक्ता, विद्युत सप्लाई असफल हो जाने अथवा ‘पावर कट’ की स्थिति में ऑयल इंजन आल्टरनेटर द्वारा विद्युत आपूर्ति करते हैं। व्यापारिक स्तर पर भी डीजल इंजन आल्टरनेटर द्वारा विद्युत उत्पादन किया जाता है।
2. घूमने वाले भागों के आधार पर
इस आधार पर आल्टरनेटर (Alternator) निम्नलिखित प्रकार के होते हैं-
- रोटेटिंग आर्मेचर आल्टरनेटर Rotating Armature Alternator
रोटेटिंग फील्ड आल्टरनेटर Rotating Field Alternator
(a) रोटेटिंग आर्मेचर आल्टरनेटर Rotating Armature Alternator
इस प्रकार के आल्टरनेटर (Alternator) का आर्मेचर, स्थिर चुम्बकीय क्षेत्र के मध्य घूर्णीय गति करता है। आर्मेचर वाइण्डिग्स में उत्पन्न हुआ वि.वा.च. स्लिप-रिंग्स के द्वारा बाह्य परिपथ को प्रदान किया जाता है।
इसकी संरचना डी.सी. जनित्र के समान होती है। इसका उपयोग कम शक्ति वाले आल्टरनेटर के रूप में किया जाता है।
(b) रोटेटिंग फील्ड आल्टरनेटर Rotating Field Alternator
इस प्रकार के आल्टरनेटर का चुम्बकीय क्षेत्र, स्थिर आर्मेचर के मध्य पूर्णीय गति करता है। इस प्रकार आर्मेचर वाइण्डिग्स में वि.वा.ब. उत्पन होता है, जो सीधे ही बाह्य लोड़ को प्रदान किया जाता है।
इसमें प्रयुक्त रोटर, रोटेटिंग फील्ड रोटर (rotor) कहलाता है। रोटर वाइण्डिग्स के द्वारा चुम्बकीय क्षेत्र स्थापित करने के लिए उन्हें दो स्लिपेटार बस के द्वारा डॉ. सी. प्रदान की जाती है।
रोटेटिंग फील्ड प्रयोग करने के लाभ Avantages of Using Rotating Field
- इसके लिए केवल दो स्लिप-रिंग्स पर्याप्त होते हैं चाहे फेज की संख्या कुछ भी हो।
स्टेटर का परिधिक क्षेत्रफल अधिक होने के कारण उसमें अधिक संख्या में चालक (वाइण्डिग तार) स्थापित किये जा सकते हैं, फलतः वि.वा.ब.विद्युत धारा का उत्पादन भी अधिक किया जा सकता है।
आर्मेचर वाइण्डिग, स्थिर प्रकार की होने के कारण उनके टूटने, डीले होने अथवा जोड़ों/सिरों के ढीले होने की सम्भावना बहुत कम होती है।
आर्मेचर वाइण्डिग से बिना किसी ‘स्लाइडिंग युक्ति’ के वि.वा.ब. प्राप्त होने के कारण स्पार्किंग आदि नहीं होती और स्पार्किंग के कारण उत्पन्न होने वाले दोष भी ना के बराबर होते हैं।
इस प्रकार के आल्टरनेटर से उच्च वोल्टता का वि.वा.व. (11,000 से 33.000 वोल्ट तक) उत्पन्न किया जा सकता है और इस उच्च वोल्टता वाले वि.वा.ब. के सहन करने के लिए वाइण्डिग पर अचालक चढ़ाने में कोई कठिनाई नहीं होती।
स्थिर आर्मेचर की वाइण्डिग का कार्य, अपेक्षाकृत सरल होता है।
रोटर, अपेक्षाकृत हल्का होता है और उसे अधिक घूर्णन गति पर घुमाकर अधिक वि.वा.ब. उत्पन्न किया जा सकता है।
आल्टरनेटर के 3-फेज आउटपुट को आवश्यकतानुसार ‘स्टार’ अथवा ‘डेल्टा’ संयोजन में प्राप्त किया जा सकता है और इस कार्य के लिए स्लिप-रिंग आदि की कोई आवश्यकता नहीं होती।
3. फेजों की संख्या के आधार पर
इस आधार पर आल्टरनेटर्स मुख्यतः निम्नलिखित होते हैं-
- सिंगल फेज आल्टरनेटर Single-phase Alternator
- पॉली-फेज आल्टरनेटर Poly-phase Alternator
(a) सिंगल फेज आल्टरनेटर Single-phase Alternator
इस प्रकार के आल्टरनेटर्स आकार में छोटे होते हैं और इनका उपयोग – सामान्यतः विद्युत उपभोक्ताओं द्वारा वैकल्पिक विद्युत स्रोत के रूप में – किया जाता है।
इनमें आर्मेचर वाइण्डिग को श्रेणी क्रम में इस प्रकार संयोजित किया जाता है कि उनमें प्रेरित होने वाला वि.वा.ब. आपस में जुड़ने वाले स्वभाव का हो।
(b) पॉली-फेज आल्टरनेटर Poly-phase Alternator
-3 फेज वाले आल्टरनेटर में तीन वाइण्डिग्स होती हैं, जो एक-दूसरे से 120° के कोण पर स्थापित की जाती हैं। प्रत्येक वाइण्डिग में दो क्वॉयल्स होती हैं
तीनों वाइण्डिग्स के समान सिरे को, एक बिन्दु पर जोड़कर ‘स्टार प्वॉइण्ट’ बनाया जाता है और शेष 3 सिरे के फेज सिरे बनाए जाते हैं।
4. उत्तेजना विधि के आधार पर
इस आधार पर मुख्यतः निम्न दो प्रकार के आल्टरनेटर्स होते हैं-
- स्व-उत्तेजित आल्टरनेटर Self-excited Alternator
पृथक्-उत्तेजित आल्टरनेटर Separately-excited Alternator
(a) स्व-उत्तेजित आल्टरनेटर Self-excited Alternator
जिस आल्टरनेटर में रोटर वाइण्डिग्स को उत्तेजित करने के लिए डी.सी. सप्लाई, उसके रोटर शाफ्ट पर स्थापित शण्ट अथवा कम्पाउण्ड डी.सी. जनित्र (generator) के द्वारा प्रदान की जाती है, वह स्व-उत्तेजित आल्टरनेटर कहलाता है।
बहुत छोटे आकार के आल्टरनेटर्स; जैसे- ‘मैग्नेटो’ (magneto) आदि में स्थायी चुम्बक युक्त रोटर प्रयोग किया जाता है। ऐसे आल्टरनेटर भी स्व-उत्तेजित आल्टरनेटर की श्रेणी में आते हैं। इनमें आर्मेचर को, मशीन के मध्य भाग में स्थिर रखा जाता है और उससे सीधे ही लोड को वि.वा.ब. प्रदान किया जाता है।
(b) पृथक्-उत्तेजित आल्टरनेटर Separately-excited Alternator
जिस आल्टरनेटर में रोटर वाइण्डिग्स को उत्तेजित करने के लिए डी.सी. सप्लाई, पृथक् डी.सी. जेनरेटर अथवा बैटरी के द्वारा प्रदान की जाती है, वह पृथक्-उत्तेजित आल्टरनेटर (separately-excited alternator) कहलाता है।
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