पावर ट्रॉसफार्मर (Transformer) की kVA क्षमता सामान्यतः 200 KVA तक होती है और इसकी प्राइमरी वाइण्डिग स्टार-संयोजन में तथा सेकेण्डरी वाइण्डिग डेल्टा संयोजन में संयोजित होती है। ये ट्रांसमिशन लाइन के सिरों पर वोल्टेज को घटाने व बढ़ाने के लिए प्रयोग किए जाते हैं।
फुल लोड पर इस ट्रांसफॉर्मर की दक्षता उच्च रहती है। उत्पादन स्टेशन व उद्योगों के सब स्टेशनों पर पावर ट्रांसफॉर्मर्स (power transformer) की उपयोग किया जाता है।
डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर (Transformer) की KVA क्षमता सामान्यतः 5kVA से 2000 KVA तक होती है और इसकी प्राइमरी वाइण्डिंग डेल्टा-संयोजन में तथा सेकेण्डरी वाइण्डिंग स्टार संयोजन में संयोजित होती है। डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर (Transformer) की सेकेण्डरी वाइण्डिंग को स्टार संयोजन में संयोजित करने का मुख्य लाभ यह है कि इससे 3-फेज सप्लाई के साथ-साथ सिंगल फेज सप्लाई भी प्राप्त की जा सकती है।
सामान्यतः 15000 kVA से कम क्षमता वाले ट्रांसफॉर्मर एल.टी. ट्रांसफॉर्मर (LT transformer) कहलाते हैं। इसी प्रकार 15000 kVA से अधिक क्षमता वाले ट्रांसफॉर्मर एच.टी. ट्रांसफॉर्मर (HT) कहलाते हैं।
पावर या डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर में मुख्यतः निम्नलिखित भाग होते हैं-
कोर
प्राइमरी वाइण्डिग्स
सेकेण्डरी वाइण्डिग्स
प्राइमरी टर्मिनल्स
सेकेण्डरी टर्मिनल्स
डाटा प्लेट
ट्रांसफॉर्मर ऑयल
ऑयल इनलेट वाल्व
ऑयल आउटलेट ट्रेन कॉक
ऑयल गेज
ऑयल टैंक
कूलिंग पाइप
तापमापी
कन्जरवेटर
सिलिका जैल
ब्रीदर
बकोल्ज रिले
अर्थ’ प्वॉइण्ट
एक्सप्लोजन वेट/वाल्व
1. कोर (Core)
यह ट्रांसफार्मर का चुंबकीय भाग होता है, जो आयरन की परतों से बना होता है। इसमें मैग्नेटिक फ्लक्स प्रवाहित होता है और यह ऊर्जा ट्रांसफर में अहम भूमिका निभाता है।
2. प्राथमिक कुण्डली (Primary Winding)
इनपुट साइड की वाइंडिंग होती है, जो एसी वोल्टेज प्राप्त करती है और उसे चुंबकीय फ्लक्स में बदलती है।
3. द्वितीयक कुण्डली (Secondary Winding)
यह वाइंडिंग चुंबकीय फ्लक्स को फिर से विद्युत ऊर्जा में बदलती है और लोड को आउटपुट देती है।
4. टैंक (Main Tank)
ट्रांसफार्मर के सभी भीतरी हिस्सों जैसे कोर, वाइंडिंग और तेल को रखने वाला मेटल टैंक होता है। यह सुरक्षा प्रदान करता है।
5. ट्रांसफार्मर ऑयल (Transformer Oil)
यह इन्सुलेशन और कूलिंग दोनों कार्य करता है। यह हीट को दूर करता है और वाइंडिंग को ठंडा रखता है।
6. रेडिएटर (Radiator)
गर्म तेल को ठंडा करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। तेल रेडिएटर से होकर गुजरता है और वहां से ठंडा होकर वापस आता है।
7. ब्रीदर (Breather)
हवा के अंदर नमी को रोकने के लिए सिलिका जेल से भरा होता है। यह नमी को सोख लेता है और ट्रांसफार्मर ऑयल को खराब होने से बचाता है।
8. बुशिंग (Bushing)
ये इंसुलेटेड कनेक्टर होते हैं जो हाई वोल्टेज कनेक्शन को ट्रांसफार्मर के अंदर और बाहर ले जाने में मदद करते हैं।
9. ऑन-लोड टैप चेंजर (On Load Tap Changer - OLTC)
यह वोल्टेज को ऑपरेशन के दौरान ही समायोजित करने की सुविधा देता है। बिना ट्रांसफार्मर को बंद किए वोल्टेज को नियंत्रित किया जा सकता है।
10. कॉनजर्वेटर टैंक (Conservator Tank)
जब ट्रांसफार्मर ऑयल गर्म होता है तो उसका वॉल्यूम बढ़ता है। यह टैंक अतिरिक्त ऑयल को स्टोर करता है और सिस्टम में बैलेंस बनाए रखता है।
11. बुशिंग टर्मिनल (Terminal Connectors)
वाइंडिंग से आने वाली सप्लाई को बाहरी सर्किट से जोड़ने के लिए इस्तेमाल होते हैं।
12. प्रेशर रिलीज वाल्व (Pressure Relief Valve)
अगर अंदर का प्रेशर अधिक हो जाए (जैसे फॉल्ट की स्थिति में), तो यह वाल्व एक्स्ट्रा प्रेशर को बाहर निकालकर ट्रांसफार्मर को फटने से बचाता है।
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